कोरोना महामारी में भारत में 90 फीसदी से ज्यादा लोगों को लगाई गई कोविशील्ड वैक्सीन सवालों के घेरे में आ गई है. इसे बनाने वाली कंपनी एस्ट्रेजेनेका ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में इसके खराब साइड इफैक्ट ब्लड क्लोटिंग (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम) की बात कुबूली है
नई दिल्ली के डायरेक्टर और जाने माने वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर सुनीत के सिंह यहां कोविशील्ड वैक्सीन से जुड़े खतरों को लेकर हर सवाल का जवाब दे रहे हैं…
एस्ट्रेजेनिका ने स्वीकारा है कि इससे साइड इफैक्ट हुआ है तो उसने कुछ केस ऐसे देखे होंगे. इस वैक्सीन के लगने के बाद कुछ लोगों में ब्लड क्लोटिंग देखी गई, जिसका एक असर हार्ट अटैक भी होता है
एस्ट्रेजेनेका ने अब ब्रिटिश अदालत में माना है कि उनकी वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट्स हैं। कहा- कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता
वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से कहा था कि वो स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे। जेमी स्कॉट की पत्नी ने ब्रिटिश कोर्ट में एस्ट्राजेनेका के खिलाफ पहला केस दर्ज कराया था।